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आखिर क्यों 15 अगस्त को ही मिली भारत को आज़ादी,जानिये आजादी की पहली रात की पूरी सच्चाई

दिल्ली, वैसे तो पूरी दुनिया यह जानती हे की भारत देश को आज़ादी 15 अगस्त को मिली थी पर उसके पहले क्या हुआ था यह सच्चाई आज भी कई लोगो के लिए एक अनसुना राज हे, देश की राजधानी में आज़ादी के ठीक एक रात पहले शाम से ही तेज़ बारिश हो रही थी रात 8 बजे के वक्त रायसिंह हिल्स पर करीब करीब पांच लाख से ज्यादा लोगो की भीड़ अपनी मातृभूमि को आज़ाद होते देखने के लिए जमा हो चुकी थी, लोग भारत को अंग्रेजो की गुलामी से आज़ाद होते देखने के लिए इतने उत्सुक थे की तेज़ बारिश में भी पूरी रात भर रायसिंह हिल के बाहर खड़े रहे ।


रात करीब 10 बजे के वक़्त सरदार वल्लभ भाई पटेल, जवाहर लाल नेहरू, डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद और माउंट बेन्टन वायसरॉय भवन पहुंचे थे 14 अगस्त 1947 की रात को 12 बजने से पहले जवाहर लाल नेहरू ने अपनी दो लाइन के भाषण को ख़त्म किया और देश को अंग्रेज़ो से ठीक बारह बजे 190 साल की गुलामी के बाद आज़ादी मिली पर भारतीय राजनेताओ के साथ साथ देश के कई हिस्सों में खुशिया फीकी थी जिसकी वजह था पाकिस्तान का बनना । 

ऐसे मिली आज़ादी 

आज़ादी की लड़ाई वैसे तो कई सालो से जारी थी परन्तु महात्मा गांधी के जनांदोलन व सुभाष चंद्र बॉस की आज़ाद हिन्द फौज ने अंग्रेजो की नाक में दम कर दिया था व दूसरे विश्व युद्ध के बाढ़ ब्रिटिश सरकार भी चरमरा गई थी जिसके चलते माउंट बेन्टन को भारत का आखरी वाइसरॉय बनाया गया  था ताकि भारत को आधिकारिक तरीके से स्वतंत्र किया जा सके ।  सबसे पहले भारत की आज़ादी के लिए 2 जून 1948 का दिन चुना गया था लेकिन अलग मुस्लिम राष्ट्र की मांग के बाद देश में बिगड़ते साम्प्रदायिक हालत के चलते 14 अगस्त को पाकिस्तान व 15 अगस्त को भारत को स्वतंत्र करने का तय किया गया ।

१५ अगस्त ही क्यों चुना गया 

भारत को तय समय से पहले स्वतंत्र करने का आखरी फैसला ब्रिटिश सरकार की और से आखरी वायसरॉय माउंट बेन्टन पर छोड़ा गया था व माऊंट बेन्टन भी  शुभ अशुभ में काफी विशवास रखते थे उन्हें लगता था की 15 अगस्त का दिन इसलिए भी शुभ हे क्युकी 15 अगस्त को ही जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध में अपनी पराजय स्वीकार की थी तथा भारतीय  ज्योतिषियों का भी यह मांनना था की 15 अगस्त की रात 12 बजे देश को आज़ाद करने की लिहाज से सबसे शुभ दिन हे इसलिए इस तारीख पर मुहर लगा दी गई थी । 


रात 12 बजे शंखनाथ की आवाज़ के साथ भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई थी 15 अगस्त की सुबह 8 बजकर 20 मिनट पर पंडित जवाहर लाल नेहरू व उनकी केबिनेट ने पद व गोपनीयता की शपथ  ली थी।  आपको बतादे की आज़ाद भारत में सबसे पहला तिरंगा नेहरू ने रात 12 बजे पार्लियामेंट सेंटर हाल में लहरा दिया था और दूसरी बार सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर पूरी दुनिया के सामने ब्रिटिश राजधवज को उतारकर लहराया था ।  ऐसी ही ज्यादा जानकारी व ताजा समाचार के लिए हमारी वेबसाइट को सब्सक्राइब जरुरु करे व आप सभी को हमारी टीम की और से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक बधाई । 

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