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मुहर्रम पर जानिये इमाम हुसैन के खानदान की वह रीत जो इस्लाम को लेकर आपका नजरिया बदल देगी

जयपुर, 10 मुहर्रम इस्लामिक कैलेंडर की वह तारीख हे जिसमे दुनिया भर में पैगम्बर हजरत मुहम्मद के नवासे को उनकी शहादत के लिए याद किया जाता हे पूरी दुनिया भर में इमाम हुसैन की याद में ताजिये का जुलुस निकाला जाता हे जिसमे करोडो की तादात में मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल होते हे. दस मुहर्रम के दिन इमाम हुसैन को यजीद की फौज के द्वारा कर्बला की जंग में शहीद कर दिया गया था परन्तु इस दिन को इस्लाम में हुसैनियत ( सच्चाई ) को यजीदियत ( जूठ ) पर जित का दिन भी माना जाता हे. 

दुनिया भर में इस्लाम को लेकर अलग अलग विचारधाराए मौजूद हे जिसमे यह कहा जाता हे की इस्लामिक शासको ने दुनिया भर में तलवार के जोर पर इस्लाम को फैलाया लेकिन इस्लाम की हक़ीक़त आप हजरत इमाम हुसैन के खानदान की सिख को जानकर अंदाजा लगा सकते हे. इमाम हुसैन को जंग में शहीद करने वाले यजीदी सिपासालार  इब्ने जिहाद जब एक जंग को छोड़ कर भाग रहा था तो उसे व उसके घोड़े को पानी की इतनी प्यास लगी की वह एक खेमे ( तम्बू ) तक जा पंहुचा.

जब इब्न इ जिहाद ने खेमे का पर्दा उठाया तो अंदर शहीद इमाम हुसैन के बेटे जैनुल आबेदीन मौजूद थे जिन्हे देख कर जिहाद शर्म से पानी पानी हो गया उसे लगा की जैनुल आबेदीन ने उसे नहीं पहचाना और उसने उनसे पिने के लिए पानी माँगा तीन जग से ज्यादा पानी पिने के बाद जिहाद ने जैनुल आबेदीन से पूछा की क्या आप मुझे जानते हे तो जवाब सुनकर वह दंग रह गया. जैनुल आबेदीन ने कहा की में उसे कैसे भूल सकता हु जिसने मेरे खानदान को ख़त्म किया हो इतना सुनने के बाद इब्न ए जिहाद ने पूछा की फिर आपने मुझे पानी क्यों दिया आप चाहते तो मुझे मारकर बदला ले सकते थे.

इस सवाल पर जैनुल आबेदीन ने कहा की उस दौरान हम तुम्हारे मेहमान थे तुमने जो किया वह तुम्हारी मेहमाननवाज़ी व तुम्हारे राजा की सिख थी जो आज मेने किया वह मेरे खानदान की मेहमान नवाजी व मेरे इस्लाम की सिख थी. यह सुनकर इब्न इ जिहाद जैनुल आबेदीन के पेरो में गिर गया व अपने सुलूक की माफ़ी मांगने लगा इस्लाम में मान्यता हे की इन्ही सिख व मुहब्बत के पैगाम के कारण इस्लाम आज पूरी दुनिया में फैला हे. बदले की भावना छोड़ कर यही सिख आज पूरी दुनिया में अपनाने की जरुरत हे जिससे दुनिया भर में अमन व शांति बनी रहे.    
            

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