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जानिये राजस्थान के ऐसे युद्ध के बारे में, जहा रणभूमि में बरसाए गए थे चांदी के गोले

चूरू, राजस्थान को वीरो की भूमि कहा जाता हे यहाँ अनगिनत युद्ध लड़े गए जिसमे कई बार राजस्थान के योद्धाओ ने दुश्मन को धूल चटाई तो कई बार युद्धभूमि में लड़ते हुए अपने आपको इतिहास के पन्नो में अमर कर दिया ।  वही दूसरी और यहा की महिलाए व आम नागरिक भी युद्ध में अपने द्वारा दिए गए बलिदानो के लिए जाने जाते हे जिसके बारे में सुन कर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हे ऐसे ही एक युद्ध के बारे में आज आपको बताने जा रहे हे जिसे लड़ते समय अंग्रेज सेना भी चौक गयी थी ।


हम बात कर रहे हे वर्ष १८५७ के विद्रोह की चूरू किले का निर्माण वर्ष १७३९ में ठाकुर कुशाल सिंह ने करवाया था जब १८५७ के विद्रोह के दौरान देशभक्त ठाकुर शिव सिंह ने अग्रेजो का विद्रोह करना शुरू किया था तब अंग्रेजी हुकूमत ने बीकानेर की सेना को लेकर चूरू किले को गैर लिया था और चारो और से तोप के गोलों से बरसात शुरू करदी ।  जिसके जवाब में शिव सिंह की सेना ने भी तोप से गोले दागना शुरू कर दिया था ।


लेकिन कुछ समय पश्चात् दुर्ग में तोप के गोले ख़त्म होने लगे जिसको देखते हुए दुर्ग के अंदर मौजूद लोहार नए गोले बनाने लगे लेकिन बदकिस्मती से सीसा समाप्त होने लगा जिसके चूरू सेना व आम जन चिंता में पड़ गए जिसके बाद्द दुर्ग के साहूकार व आम लोगो ने अपने चांदी के आभूषणों को ठाकुर शिव सिंह को गोला बनाने के लिए भेंट किया ताकि दुर्ग की मर्यादा बचाई जा सके ।


चांदी मिलते ही दुर्ग के लोहार व सुनार तोप के गोले बनाने में जुट गए व सेना के द्वारा जब चांदी के गोलों को दागा गया तो अंग्रेजी सैनिक हैरान रह गए तथा चूरू दुर्ग की जनता की अपने राजा के प्रति सद्भावना को देखते हुए युद्ध को खत्म कर गेरा हटा लिया।   इस घटना के उप्पर कई लोक गीत भी बने हुए हे जिन्हे आज भी ख़ास मोको पर गाय जाता हे । 

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