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जानिए कौन है गुलाम रसूल गलवान व उनका पूरा इतिहास

भारत चीन के बिच उठे विवाद के बिच चीन की और से लगातार दावा किया जा रहा है की गलवान घाटी चीनी क्षेत्र है जबकि आपको बतादे की गलवान घाटी की खोज एक भारतीय मुस्लिम ने की थी जिनका नाम गुलाम रसूल गलवान था उन्ही के नाम पर बिर्टिश सरकार ने इस घाटी का नाम गलवान रखा था.

                    
गुलाम रसूल गलवान का जन्म सन 1878 में लेह में हुआ था महज बारह साल की उम्र में गुलाम रसूल अंग्रेजो को इलाके में गुमाने का काम करते थे जब एक अंग्रेज खोजकर्ता व उनका दल रास्ता भटक गए थे तो गुलाम रसूल ने उनकी मदद की थी जिसके बाद खोजकर्ता ने इस इलाके का नाम गलवन रख दिया था जो आगे चलकर गलवान कहलाया. अंग्रेज व अमेरिकी लोगो के साथ काम करने के कारण उनको लद्दाख में ब्रिटिश जॉइंट कमीश्नर का मुख्य सहायक बनाया गया था  व अकासकल की उपाधि भी दि गयी थी. उनका काम लदाख में आने वालो से कर वसूली करना भी था. कई लोगो का  मानना है की गुलाम रसूल ने ही घाटी में मौजूद नदी के स्त्रोत की खोज की थी जिस कारण भी इस क्षेत्र को गलवन कहा जाता था. गुलाम रसूल गलवान का मकान आज भी लेह के गलवानपुरा  में मौजूद है. गुलाम रसूल की मृत्यु वर्ष 1925 में हुई थी.

गलवन कबिले के लोग कौन है ?     

विशेषज्ञ मानते है की कश्मीर में गोडो  का व्यपार करने वाले एक कबीले को गलवन कहा जाता था  जब की कई विशेषज्ञों का मानना है की गलवन भारत की सबसे बहादुर कबीलो में से एक है जो की चीन से प्राचीन काल से ही अपनी सिमा की सुरक्षा करते आए है व यह लोग इलाके में लूट करते थे जिस कारण इनको लुटेरी कौम भी कहा जाता है खुद गुलाम रसूल गलवान की किताब "द सर्वेंट ऑफ़ साहिब" में भी उन्होंने लिखा था की उनके पूर्वज अमीरो व साहूकारों को लूट कर गरीबो की मदद करते थे जिससे इस तथ्य को मजबूती मिलती है की गलवन लुटेरे थे. वही कुछ लोग इनके साफे व पहनावे के कारण गलवन कबीले को पठानों के एक ख़ास लड़ाकू कबीले के रूप में भी मानते है.       

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