रथ यात्रा को मंजूरी मिल सकती है तो मुहर्रम पर क्यों नहीं, प्रशासन के विरोध में शिया सुन्नी हुए एक कहा साथ गिरफ्तारी देंगे
लखनऊ, देश व दुनिया में चाँद दिखने के साथ ही शुरू हुए मुहर्रम के महीने से देश में एक और नया विवाद खड़ा हो गया है जिसकी वजह है दुनिया भर में मुहर्रम के अवसर पर इमाम हसन व हुसैन की शहादत की याद में निकाले जाने वाला ताजियों और अलम का जुलुस. कोरोना वाइरस की वजह से देश भर के लगभग सभी इलाको में प्रशासन की और से जुलुस निकालने पर पाबंदी लगा दि गई है जिससे कई मुस्लिम संगठन नाराज़ हुए है व सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर रहे है.
लखनऊ में विरोध के दौरान एक अजीब वाक़्या भी देखा गया जब मुहर्रम निकालने की मांग को लेकर शिया व सुन्नी समुदाय के लोग एक साथ ज्ञापन देते हुए नज़र आए. शिया संगठन कल्बे हयात व सुन्नी संगठन चाँद कमेटि के लोगो ने कहा की प्रशासन की और से कोरोना वाइरस का हवाला दिया जा रहा है जबकि कोरोना वाइरस तेज़ी से अपने पैर पसार रहा था तब हिन्दू भाइयो की आस्था को देखते हुए पूरी में जग्गनाथ रथ यात्रा निकालने की अनुमति दि गई थी.
ताजियों का जुलुस पुरे देश में तेहरवी सदी से से निकला जाता रहा है तथा यह इस्लाम का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है जिसे मनाने की प्रशासन की और से इजाजत दि जानी चाहिए ताजिये का जुलुस निकालते वक़्त सरकार की सभी गाइडलाइन का ख़याल रखा जाएगा, जब देश में रथ यात्रा को मंजूरी मिल सकती है तो ताजिये के जुलुस के लिए क्यों नहीं.
हमने अपनी बात प्रशासन के सामने रख दि है 30 अगस्त को पुरे देश में ताजिये का त्यौहार मनाया जाना है ऐसे में अगर प्रशासन की और से इजाजत नहीं दि जाएगी तो हम गिरफ्तारी देने के लिए तैयार है परन्तु इस्लाम धर्म के सबसे महत्वपूर्ण परम्परा को नहीं तोड़ सकते है.
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