स्मार्टसिटी प्रोजेक्ट बना शहर वासियो के लिए परेशानी का कारण, देश भर में व्यपारियो को किराया भरने के लिए हो रही परेशानी
नयी दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा वर्ष 2015 में पुरे देश के कई राज्यों के चुनिंदा शहरो को स्मार्ट सिटी की सौगात दि गई थी जिसके लिए 98000 करोड़ रूपए खर्च करने का लक्ष्य रखा गया था जो की चुनी गई सभी स्मार्ट सिटी के शहरवासियों के लिए एक बड़ी खुशखबरी थी पर अब यही खुश खबरी स्मार्टसिटी वासियो के लिए गल्ले में फंसी हड्डी के समान बन गई है जिसकी वजह है स्मार्ट सिटी के नाम पर कराया जाने वाला धिमिगती का कार्य तथा स्थानीय प्रशासन के द्वारा स्मार्ट सिटी के प्रथम फेज़ में किये जाने वाले जूठे दावों की वजह से होने वाली परेशानिया.
देश भर की सभी स्मार्ट सिटी में स्थानीय प्रशासन के द्वारा सड़को के नवीनीकरण के साथ साथ कई अन्य प्रोजेक्ट चलाए जा रहे है जिनमे सीवरेज सहित कई अन्य कार्य शामिल है जिनका कार्य पिछले कई सालो से बदस्तूर जारी है परन्तु भ्र्ष्टाचार के कारण यह कार्य इतनी धीमी गति से हो रहा है की अब यही मुख्य बाज़ारो के व्यपारियो के साथ साथ सभी शहर वासियो के लिए सर दर्द बन चूका है.हर जगह खुदी हुई सड़को व अन्य कार्यो के लिए किये गए गड्ढे की वजह से मुख्य बाज़ारो की दुकानों से ग्राहक नदारद है जिसकी वजह से अब व्यपारियो को दूकान का खर्च निकालना भी मुश्किल हो रहा है
वही दूसरी और प्रथम चरण के कार्य पुरे होने पर प्रशासन की और से कई दावे किये गए थे जिनमें बरसात में होने वाली जलभराव व अन्य परेशानियों से निजात पाने का दावा पहली ही बरसात में फिसड्डी साबित हुआ है जयपुर बिहार व अन्य कई राज्यों की स्मार्टसिटी में पहली बरसात से बाढ़ जैसे हालत पैदा हो गए थे जो की सरकारी अधिकारियो की और से किये जाने वाले आंशिक भर्ष्टाचार का उदाहरण है.
शहर वासियो का कहना है की जब वह प्रशासन के पास अपनी शिकायत लेकर जाते है तो एक जगह से दूसरी जगह उन्हें भेजा जाता है परन्तु समस्या का हल नहीं हो पाता वही दूसरी और सरकारी कर्मचारी कहते है की कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है. व्यपार मंडल के पदाधिकारियों का कहना है की अब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखकर अपनी परेशानियों से अवगत करवाएंगे ताकि समस्या का हल जल्दी हो सके.
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