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इस साल टूटेगी 121 साल पूरानी परम्परा, नहीं लगेगा विश्वविख्यात हरियाली अमावस्या का मेला

देश में चल रहे कोरोना महामारी की वजह से इस वर्ष कई धार्मिक व सामाजिक आयोजन रद्द करने पड़े है इसी बिच उदयपुर में जारी 121 साल पूरानी परम्परा पर भी खतरा मंडरा रहा है. सोशल डिस्टेंसिंग की पालना व कोरोना वाइरस के खतरे को देखते हुए उदयपुर नगर निगम इस साल इस प्राचीन मेले को रद्द कर सकता है. आपको बतादे की उदयपुर में लगने वाले हरियाली अमावस्या मेले का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है.
हरियाली अमावस्या का मेला श्रवण मॉस में फ़तेह सागर जिल किनारे व सहेलियों की बाड़ी पर लगाया जाता है इससे पूर्व व बाद में गुलाब बाग़ में भी सुखिया सोमवार का मेला लगाया जाता है जो की इस वर्ष नहीं लगा है जिसकी वजह से शहर वासियो में भी निराशा देखने को मिल रही है.
यह है प्राचीन मान्यता 

इतिहास की माने 1898 में महाराणा फतह सिंह और उनकी रानी  चावड़ी रानी फतेहसागर जिल किनारे भर्मण पर आए थे तब इसे देवाली जिल के नाम से जाना जाता था लबालब भरी जिल को देख परसन्नित हुए महाराणा ने शहर वासियो के लिए मेले का आयोजन करने की घोषणा की थी इस महारानी चावड़ी रानी के सवाल पूछने पर महाराणा फ़तेह सिंह जी ने इस मेले को दो दिन का करने की घोषणा की जहा दूसरे दिन केवल महिलाओ को प्रवेश मिलता है यह पुरे देश में केवल एकमात्र ऐसा मेला है जो महिलाओ के लिए मनाया जाता है. तब से यह परम्परा लगातार जारी है.

  

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